महिलाओं में सेक्स समस्या एक अति कॉमन प्रॉब्लम हे। अनेक प्रकार की प्राब्लम्ज़ जैसे वैजिनल डिस्चार्ज अथवा सफ़ेद पानी का गिरना , प्रेग्नन्सी और प्रसव से सम्बंधित सेक्स समस्या , रजोनिवृत्ति के बाद के वेवाहिक जीवन के प्रश्न काफ़ी अहम होते हे। हेल्थकेयर बेहतर होने से औसत आयु बढ़ रही हे इसलिए अब पचास -साठ के बाद की महिलायें भी अपना सामान्य सेक्स सुख प्राप्त करने को तत्पर हे। परंतु इन की समस्याओं के बारे में आम जनता और डाक्टर्ज़ में भी जानकारी न के बराबर हे । इसलिए इस बारे में सही जानकारी होना अति आवश्यक हे ।
रजोनिवृत्ति के बाद सेक्स प्राब्लम्ज़-
मानसिक रूप से पचास के बाद का समय सेक्स लाइफ़ के लिए सर्वोत्तम होता हे । आप को ये बात बचकानी लग सकती हे परंतु यही सत्य हे। इसके कई कारण हो सकते हे – बच्चे सेटल हो जाते हे, आप को गर्भ ठहरने की चिंता नहीं होती, जीवन में ठहराव आ जाता हे और एक दूसरे को समय भी दे सकते हे । फिर भी इस समय शरीर में कुछ बदलाव आते हे जिनको समझना ज़रूरी हे।
1- कामेच्छा की कमी– उम्र के साथ इसने कमी आती हे परंतु ये कमी काफ़ी हद तक आपके जीवन मूल्य, सेक्स संबंधो के प्रति दृष्टिकोण , आपके शारीरिक स्वास्थ्य और आपके पार्ट्नर के सेक्शूअल स्वास्थ्य पर निर्भर करता हे। कई महिलायें इसी नकारात्मक दृष्टिकोण से ग्रसित होती हे कि सेक्स केवल संतान प्राप्ति या पुरुषों के सुख के लिए हे । अनेक स्वयं को अलग थलग कर लेती हे और धर्म में ही लीन रहने का प्रयास करती हे। ये सब उचित नहीं हे। सेक्स का मतलब अपने जीवन साथी से निकटता हे और सेक्स एक प्रकार से आपके प्रेम की अभिव्यक्ति हे।
2- कामोत्तेजना की कमी – एस्ट्रजेन की कमी से प्राइवट पार्ट्स में सेक्स के समय रक्त संचार कम हो जाता हे जिस से पर्याप्त गीलापन नहीं आता। इसके कारण सेक्स करने में दर्द होता हे । ऐसे में उपयुक्त लोकल हॉर्मोन थेरपी या वॉटर बेस लूबरीकेंट इस्तेमाल कर सकते हे।
प्रेग्नन्सी में सेक्स लाइफ़-
अधिकतर मामलों में मैंने देखा हे कि गर्भ ठहरते ही या तो डॉक्टर द्वारा या स्वयं से सेक्स पूरी तरह प्रतिबंधित हो जाता हे। क्या ये आवश्यक हे? कमोबेश नौ महीने गर्भ के और चार से छः महीने बाद तक सेक्स लाइफ़ नेपथ्य में चली जाती हे। अनेकों बार मैंने देखा हे कि बाद में जब सेक्स शुरू करते हे तो शीघ्र पतन या ई॰डी॰ की समस्या का सामना करना पड़ता हे। अधिक समय तक सेक्स से दूर रहना कई बार विवाहोत्तेर संबंधो को भी जन्म दे सकता हे।
असल में ऐसी कोई निश्चित रीसर्च नहीं हे जिस से साबित हो कि सेक्स से गर्भ पात का कोई सम्बंध हे । मेरे विचार से बीच का रास्ता सर्वोत्तम हे – यदि हाई रिस्क प्रेग्नन्सी हे तो सेक्स अवॉड करे या बिलकुल जेंटल रहे । सामान्य गर्भावस्था में आप नोर्मल सेक्स कर सकते हे । फिर भी आपको अपने गाईंनी के डॉक्टर की बात को ही मानना चाहिए।
प्रसव के बाद की सेक्स लाइफ़ –
ये भी एक अहम् मुद्दा हे । सामान्यत प्रसव के बाद छः हफ़्ते तक सभी महिलाओं की योनि से एक द्रव्य कभी कभी निकलता हे जो बच्चेदानी के प्रसव पूर्व जैसी आने की प्रक्रिया का हिस्सा हे। ये किसी भी तरह से नुक़सानदेह नहीं होता । इसके अतिरिक्त कुछ अन्य बदलाव आते हे जिनका सेक्स संबंधो पर असर हो सकता हे जैसे- माता अपने शिशु को स्तनपान कराती हे जिस से हॉर्मोन प्रोलैक्टिन काफ़ी बढ़ जाता हे। इस कारण कामेच्छा कम होने के अतिरिक्त कामोत्तेजना भी कम हो जाती हे। सूखे वजाइना के कारण सम्भोग में काफ़ी दर्द हो सकता हे । इस समय में नन्हा बालक ही महिला का केंद्र बिंदु होता हे इसलिए कई पुरुष उपेक्षित अनुभव कर सकते हे। ऊपर से बच्चे की देखभाल में लीन होने से महिला स्वयं का ध्यान नहीं रख पाती इसलिए कई बार कम आकर्षक लगती हे। ख़ासतौर पर कई महिलाओं में ऐसी हीन भावना आ जाती हे कि वो पहले जैसी सुंदर नहीं लगती इसलिए सेक्स लाइफ़ पे काफ़ी नकारात्मक असर हो सकता हे । पुरुष साथी को उसके आत्मविश्वास को बनाए रखना चाहिए।