Homosexuality or Samalaingikata in Hindi
Q- समलेंगिकता का क्या अर्थ है?
Ans- यौन रुचि या ऑरीएंटेशन का अर्थ है कि आप यौन संबंध के लिए किस लिंग के व्यक्ति को ज़्यादा पसंद करते है । यदि विपरीत लिंग के व्यक्ति के साथ आपकी रुचि है तो इसे विषमलेंगिकता कहते है और यदि आप उसी लिंग के व्यक्ति के साथ यौन सम्बंध की रुचि रखे तो इसे समलेंगिकता कहते है । यदि एक पुरुष दूसरे किसी पुरुष से यौन सम्बंध बनाने में रुचि रखे तो इस को गे कहते है और महिलाओं में इसे लेज़्बीयन कहते है ।
Q- समलेंगिकता कितने लोगों में देखी जाती है ?
Ans- इसका सही उत्तर मालूम करना कठिन है क्योंकि समलेंगिकता को सदा से ही समाज में बहुत हेय दृष्टि से देखा जाता रहा है। इसलिए सही शोध कर पाना बहुत कठिन है । कारण ये है कि लोग सच बात को छुपाते है । फिर भी एक सर्वे के अनुसार समाज में समलेंगिकता की दर पुरुषों में 4-5% और महिलाओं में 2-3% है । भारत सहित दुनिया के अनेक देशों में इसे एक अपराध की श्रेणी में रखा जाता रहा है , हालाँकि हाल में भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को निरस्त कर दिया है जिस से अब भारत में ये एक अपराध नहीं है ।
Q- इस बात का निर्धारण कैसे होता है कि कोई व्यक्ति विषमलेंगी होगा या समलेंगी ?
Ans- इस बात के बारे में बिलकुल सही और सटीक उत्तर विज्ञान के पास नहीं है परंतु कुछ प्रमाण मिले है कि समलेंगिकता के विकास में कुछ हद तक आनुवंशिक प्रवर्ती ( Genetic Predisposition) का योगदान होता है । पुरुष समलेंगी के भाईओं में समलेंगिकता की दर बढ़कर 9% और बहनो में ये दर 5% हो जाती है । इसी तरह किसी महिला समलेंगिक की बहनो में ये दर 6-25% तक है । महिला समलेंगी के भाइयों में भी समलेंगिक होने की दर 10% तक है । आनुवंशिक़ प्रवर्ती के अतिरिक्त अनेक होर्मोनल और वातावरण में पाए जाने वाले ऐसे कारक होते है जिनका असर समलेंगी होने या न होने पर पड़ता है ।
Q- समलेंगी होना क्या स्वयं की इच्छा पर निर्भर करता है ?
Ans- नहीं, अपनी इच्छानुसार कोई समलेंगी ,विषमलेंगी या द्विलिंगी नहीं हो सकता । ऐसा जन्म से ही लगभग निश्चित हो जाता है कि आप की यौन रुचि पुरुषों/ महिलाओं या दोनो में होगी ।
Q- क्या जन्म के समय की अवस्था सारी उम्र ऐसी ही रहती है और प्राकृतिक रूप से किसी बदलाव की कोई सम्भावना नहीं होती ?
A- कई विशेषज्ञ मानते है कि यौन प्रवृति एक तरल अवस्था है जो समय के साथ बदल सकती है । इनमे सबसे स्थाई अवस्था विषमलेंगी होते है और सबसे अधिक बदलाव द्विलेंगी अवस्था में आ सकता है । ऐसे द्विलेंगी लोग आरम्भ में समलेंगी होते है परंतु बाद में विपरीत लिंग के व्यक्ति से विवाह कर के सफल वैवाहिक जीवन बिताते है । ऐसे लोग बाद में केवल मानसिक रूप से ही समलेंगी होते है परंतु समलैंगिक यौन सम्बंध न के समान ही रखते है । महिला और पुरुष दोनो , जो आरम्भ से समलेंगी होते है , वे समय के साथ बदलते नहीं है ।
Q- क्या समलेंगिकता कोई बीमारी है जिसका उपचार किया जाना चाहिए ?
Ans- समलेंगिकता के बारे में सदियों से लोगों को ज्ञात है परंतु अभी भी कोई भी खुल कर इस बारे में बात करने को तैयार नहीं होता । अभी कुछ समय पहले तक इसे मानसिक रोग भी माना जाता था और यौन अपराध भी । पिछले कई दशकों तक इसका उपचार करने की कोशिश की गई जिनमे मनोवेज्ञानिक उपचार और कई प्रकार की दवाई शामिल है । कई पश्चिम के देशो में तो ECT यानी बिजली के झटके भी दिए गए । ऐसे लोगों को बड़े भय के वातावरण में रहना पड़ता था क्योंकि ये एक अपराध भी था । परंतु कभी किसी को Orientation बदलने में सफलता नहीं मिली ।
सभी बीमारियों को सूचीबध करने वाली संस्था ICD-10 ने 1992 में इसे बीमारियों की श्रेणी से पूरी तरह हटा दिया और अंतरराष्ट्रीय चिकित्सकों के समूह ने मान लिया कि समलेंगिकता कोई शारीरिक या मानसिक बीमारी नहीं है इसलिए इसके उपचार जैसी कोई बात नहीं है । इसके बावजूद भी भारत जैसे देश में इसे IPC की धारा 377 के अंतर्गत एक अपराध माना जाता रहा है । माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितम्बर 2018 इस धारा को निरस्त करके समलेंगिकता को पूरी तरह से लीगल बना दिया ।