1- पुरुष एवं महिला को एक साथ डिस्चार्ज होना चाहिए-
यह बिलकुल आवश्यक नहीं है। सामान्य तौर पर पुरुष महिला से पहले डिस्चार्ज होते है। इसका मुख्य कारण है - महिलाओं के गुप्तांगों की विशेष बनावट। सामान्य वैजिनल सेक्स में पुरुष का लिंग महिला के क्लिटरिस को वांछित रूप से उत्तेजित नहीं कर सकता । इसलिए उत्तेजना धीरे धीरे होती है और पुरुष पहले डिस्चार्ज हो जाता है।
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2- यदि मैंने आज सैटिस्फ़ाई नहीं किया तो मैं किसी लायक नहीं हूँ-
ऐसी सोच निश्चित ही नकारात्मक है । ऐसा सोच कर क्यों ख़ुद पर अनावश्यक दबाब बनाना ? सामान्य सेक्स लाइफ़ में कभी कभी नाकामी भी मिलती है जब आपका लिंग अपेक्षित स्थिति में नहीं आता । आप जितना तनाव लेंगे, उतनी स्थिति बिगड़ेगी। इसलिए केवल आनंद के लिए सेक्स करे, बाक़ी नकारात्मक विचार छोड़ दे।
3- मेरे लिंग की कठोरता अब पहले जैसी नहीं है-
अनेक लोग ऐसा ही सोचते है। ऐसे लोग चाहे सम्भोग क्रिया आसानी से पूरी कर लेते हों, उनका ध्यान इसी बात पर रहता है कि लिंग की कठोरता कैसी है , जिससे अनावश्यक ऐंज़ाइयटी होने पर स्थिति ख़राब हो जाती है। कृपया याद रखे, बाक़ी शरीर की तरह यौन अँगो में भी उम्र का प्रभाव होता है। समय के साथ लिंग की अधिकतम कठोरता घट जाती है पर सम्भोग के लिए यह काफ़ी होती है। आप को समय के साथ अपनी सेक्शूऐलिटी में होते परिवर्तन को समझते हुए आवश्यक बदलाव करने चाहिए ।
4- सर्वाधिक आनन्द के लिए महिला के गर्भाशय तक लिंग पहुँचना चाहिए-
यह भी अनेक समस्याओं का कारण है। अनेक पुरुष ये मानते है कि महिला साथी की पूर्ण संतुष्टि एवं गर्भ धारण के लिए सम्भोग के समय लिंग गर्भाशय तक जाना चाहिए। इसी कारण वह इस हीनभावना से ग्रस्त हो जाते है कि उनके लिंग का साइज़ छोटा है। वास्तव में यह बात बिलकुल ग़लत है। सेक्स में आनंद योनि के बाहरी हिस्से से आता है, अंदर का हिस्सा कोई महत्तव नहीं रखता। यदि आप योनि के किसी भी हिस्से में वीर्य डिपॉज़िट कर देंगे तो गर्भ धारण हो सकता है। इसके लिए आप को गर्भाशय के मुख तक जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।