शुगर की बीमारी का सेक्स लाइफ़ पर प्रभाव
हमारे देश में लगभग चार करोड़ लोग ऐसे हे जिनका ब्लड शुगर 126 mg प्रति 100 मी ली से ज़्यादा है और ये शुगर रोग से पीड़ित है । ये संख्या चीन में पाए जाने वाले शुगर के मरीजो के मुक़ाबले दुगनी और अमेरिका के मुक़ाबले तीन गुणी है । इनके अतिरिक्त 7.7 करोड़ ऐसे लोग है जिनका शुगर लेवल 126-140 के बीच है और इन्हें प्रीडाइअबीटीज़ की श्रेणी में रखा जाता है । दुर्भाग्य से इंडिया को डाइअबीटीज़ कैपिटल कहते है ।
शुगर रोग से पीड़ित लोगों में 35-65% को सेक्स समस्या होती है । ऐसा कई कारनो से होता है जैसे ख़ून की धमनियों के संकरा होने से, मोटापा होने से, नर्व पर असर होने से या माँसपेशियों की कमज़ोरी से ।
रक्त की धमनियों पर क्या असर होता है - शुगर से पीड़ित 70% से अधिक लोगों में धमनियों के संकरे पन से जटिलता उत्पन्न होती है । इसके अतिरिक्त उच्च रक्तचाप और धमनियों की दीवारों के लचीलेपन में कमी से भी समस्या होती है । संकरेपन की वजह से यौन अँगो में उत्तेजना होने पर उचित रक्त संचार नहीं हो पाता और मर्दों में ई॰डी॰ और महिलाओं में योनि में सूखापन हो जाता है ।
नर्वस सिस्टम पर असर से क्या होता है - हम शरीर के सभी अँगो पर नर्व की ख़राबी से होने वाले दुशप्रभाव की चर्चा तो कई बार कर लेते है परंतु इसके सेक्स लाइफ़ पर असर के बारे में बिरले ही बात करते है। लिंग की सोमैटिक नर्व पर प्रभाव के कारण ई॰डी॰ या योनि का सूखापन हो सकता है और चरमप्राप्ति पर काफ़ी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । वहीं पर एक दूसरे तरह के नर्वस सिस्टम पर प्रभाव के कारण लिंग में नायट्रस आक्सायड नामक गैस कम मात्रा में बनती है जिसके कारण भी ED हो जाता है ।
शुगर की बीमारी ज़्यादातर मामलों में मोटापा साथ लाती है ।
शुगर की बीमारी से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है अतः सेक्स सम्बंधी बीमारी की सम्भावना अधिक हो जाती है । संक्रमण के कारण सेक्स में दर्द हो सकता है और जननागों में दुर्गन्ध आने से सेक्स के लिए विरक्ति हो जाती है और कामेच्छा कम हो जाती है ।
शुगर की बीमारी से हृदयरोग होने की सम्भावना भी ज़्यादा हो जाती है । एक अनुमान के अनुसार शुगर के 70 % मरीज़ों में हृदय रोग पाया जाता है । इसके कारण रक्त संचार कम हो जाता है , थकान होने लगती है और सेक्स करने से दोबारा हृदयरोग होने के डर से सेक्स लाइफ़ पर विपरीत असर पड़ता है , जिस से ED हो जाती है ।
शुगर की बीमारी से हॉर्मोन भी असंतुलित हो जाते है । ऐसे लोगों में सेक्स हॉर्मोन टेस्टास्टरोन की मात्रा कम होती है जिस से शरीर की रासायनिक क्रियाएँ प्रभावित होती है जिस से कामेच्छा की कमी और ED हो जाती है ।
शुगर के मरीज़ों में कई मनोवेज्ञानिक समस्याएँ भी होती है । ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने का तनाव , पार्ट्नर को संतुष्ट न कर पाने का डर , उच्च रक्तचाप की दवाओं के साइड इफ़ेक्ट, हृदय सम्बंधी समस्याएँ , हाई कलेस्टरॉल और दूसरी मनोविज्ञानी समस्याएँ स्थिति को और ख़राब कर देती है जिस से शुगर की बीमारी का सही कंट्रोल नहीं होता और सेक्स समस्याएँ ज़्यादा हो जाती है ।
शुगर की बीमारी में लिंग में टेडापन भी हो सकता है । लिंग की महीन रक्तसंचार धमनियों में बार बार चोट लगने से रक्त स्राव होता है जिस से फ़ायब्रस टिशू बन जाता है । धीरे धीरे इसका साइज़ बढ़ता जाता है और ये हिस्सा महसूस करने लायक़ बन जाता है । इस से लिंग के तनाव में दर्द होता है और कुछ समय के बाद टेढापन आ जाता है । इसे पेयरोनी की बीमारी कहते है । ये एक ख़तरनाक जटिलता होती है ।